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मराठा
- जैसे मुगल पतन हुआ मराठा को सत्ता में आने का अवसर मिला( देश का अधिकांश भाग नियंत्रित )
- वो सम्पूर्ण उत्तर भारत पर शासन करने की सोच रहे थे लेकिन पानीपत के तृतीय युद्ध में पराजित हो गए और स्थिति बदल गई
- उन्होंने शक्ति पुन प्राप्त की और एक दशक के अन्दर एक मज़बूत स्थिति फिर से हासिल की
- बाजीराव प्रथम (1720 से 40) सभी पेशवाओं में सबसे महान थे
- इन्होंने तेजी से फैलाई मराठा सख्ती को व्यवस्थित करने के लिए मराठा सरदारों के संघ की शुरुआत की
- कुछ प्रमुख मराठा परिवार उदित हुए -
- गायकवाड़- बड़ौदा
- भोंसले - नागपुर
- होलकर - इंदौर
- सिंधिया - ग्वालियर
- पेशवा - पुणे
- माधवराव की मृत्यु के बाद उनके भाई नारायण राव ने उनका उत्तराधिकार किया
- लेकिन नारायण राव कि उनके चाचा रघुनाथ राव ने हत्या कर दी और खुद को पेशवा घोषित किया
- नाना फड़नवीस और 11 अन्य मंत्रियों ने शिशु माधव राव द्वितीय ( नारायण राव के पुत्र) को पेशवा नियुक्त किया
- रघुनाथ राव ने बॉम्बे में अंग्रेजों से मदद मांगी और 1775 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सूरत संधि पर हस्ताक्षर किए
- संधि के तहत रघुनाथ राव ने साल सेट और बेसिन के क्षेत्र को अंग्रेजों को सौंप दिया बदले में अंग्रेजों को रघुनाथ की मदद करनी थी
- कलकत्ता प्रेसीडेंसी ने सूरत की संधि की निंदा की और नाना फड़नवीस के साथ पुरन्दर की संधि पर हस्ताक्षर किए
- तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन और पेशवा नाना फड़नवीस के बीच संधि पर हस्ताक्षर किए गए , जिसमें अंग्रेजों ने सवाई माधव राव को 1 नए पेशवा के रूप में स्वीकार किया और मराठाओं को फ्रांसीसियों से दूर रहना था
- 1770 में नाना फड़नवीस ने पश्चिमी तट पर फ्रांसीसियों को बंदरगाह प्रदान करके पुरंदर की संधि का उल्लंघन किया अंग्रेजी सेना ने पुणे की और बल भेजकर जवाबी कार्रवाई की
युद्ध
- मराठा बड़गांव में जीते (महादजी सिंधिया के नेतृत्व में) बडग़ांव की संधि ने बॉम्बे सरकार को 1775 के बाद से अंग्रेजों द्वारा अधिकृत सभी को त्यागने के लिए मजबूर किया
- बाद में मराठा हार गए
- अंग्रेजों ने माधवराव को नए पेशवा के रूप में मान्यता दी
- अंग्रेजों को बेसिन और सालसेट रखने की अनुमति दी गई थी
- पेशवा को किसी भी यूरोपियन राष्ट्र का समर्थन नहीं करना था
- मराठा ने मैसूर के ख़िलाफ़ अंग्रेजों की मदद करने के लिए सहमति दी
- महत्व -अगले 20 वर्ष तक शांति
दूसरा आंग्ल मराठा युद्ध
पृष्ठभूमि :-
- सभी मराठा प्रमुखों ने सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया
- पेशवा बाजीराव ने जसवंत राव होलकर के भाई की हत्या कर दी( इंदौर का शासक)
- जसवंत राव ने पेशवा और सिंधिया की संयुक्त सेना पर हमला किया और पराजित किया
- बाजीराव बेसीन भाग गए और उन्होंने 1802 में अंग्रेजों के साथ बेसिन की एक संधि पर हस्ताक्षर किए
बेसिन की संधि
पेशवा सहमत हुए
कंपनी से 1 पैदल सेना( 6000 सैनिकों) को प्राप्त करने के लिए
पेसवा द्वारा सैन्य रख रखाव के लिए 2600000 कंपनी को दिया जाएगा
सूरत कंपनी को दिया गया था
किसी अन्य यूरोपीय सख्ती के साथ कोई सम्बन्ध नहीं
निजाम के प्रभुत्व पर चौथ के सभी दावों को छोड़ देना
उन्होंने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू किया लेकिन सारे प्रयास निष्फल रहे
- भोंसले की हार (देवगांव की संधि 1803 )
- सिंधिया की हार (सुरजन गाँव की संध्या 1803 )
- होलकर की हार (राजपुरघाट की संध्या 1806 )
- पेशवा के मामले में अंग्रेजों का कड़ा नियंत्रण और हस्तक्षेप
- अंग्रेजों द्वारा पिंडारियों को आश्रय देने का मराठों पर आरोप लगाया गया
- पेशवा ने युद्ध की घोषणा की और बाद में भोंसले और होलकर उनके साथ जुड़ गए
- पेशवा को हराया और उनके क्षेत्रों व कब्जा कर दिया गया
- सतारा का राज्य शिवाजी के वंशज प्रताप सिंह को दे दिया गया
- अयोग्य नेतृत्व
- मराठा कि सैन्य कमज़ोरी
- मराठा राज्य की प्रकृति
- ढीली राजनैतिक व्यवस्था
- अस्थिर आर्थिक नीति
- उन्होंने कूटनीति की रणनीति पूरी तरह नहीं सीखी
- प्रगतिशील अंग्रेज़ी दृष्टिकोण